ED Dossier on PFI: 13 हजार विदेशी सदस्य, हवाला के जरिए करोड़ों की फंडिंग”
ED Dossier on PFI: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) से जुड़े बड़े खुलासे किए हैं। चार साल की जांच के बाद ED ने एक डोजियर तैयार किया है जिसमें PFI के नेटवर्क और इसके अंतरराष्ट्रीय संपर्कों का पर्दाफाश किया गया है। इस संगठन को जुलाई 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की कोशिश के असफल प्रयास के बाद प्रतिबंधित कर दिया गया था।
PFI पर चार साल की जांच में ED का खुलासा
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) की गतिविधियों पर चार साल तक गहन जांच की। इस जांच के बाद जो डोजियर तैयार किया गया है, उसमें PFI के विभिन्न राज्यों में फैले नेटवर्क और इसके 13,000 से अधिक विदेशी सदस्यों का खुलासा हुआ है। ED ने इस संगठन के हवाला के जरिए करोड़ों रुपये की फंडिंग को भी उजागर किया है।
PFI के सैकड़ों सदस्य और कार्यालय देश के विभिन्न राज्यों जैसे केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना, दिल्ली, राजस्थान, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल, असम, जम्मू-कश्मीर और मणिपुर में पाए गए हैं। ED के अनुसार, इस संगठन के असली उद्देश्य इसके संविधान में दर्ज उद्देश्यों से बिल्कुल भिन्न थे।
जुलाई 2022 में मोदी हत्या प्रयास के बाद लगा प्रतिबंध
ED के डोजियर के अनुसार, PFI पर जुलाई 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की असफल कोशिश के बाद प्रतिबंध लगाया गया। यह प्रतिबंध गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत लगाया गया था। इस संगठन ने हिंसात्मक गतिविधियों के लिए युवाओं को उकसाने और उन्हें प्रशिक्षण देने का भी आरोप है।
13,000 से अधिक सदस्य और हवाला फंडिंग का जाल
जांच में यह बात सामने आई कि PFI के सदस्य सिर्फ भारत तक सीमित नहीं थे, बल्कि यह संगठन पांच खाड़ी देशों सहित सिंगापुर में भी सक्रिय था। ED की जांच में पता चला कि इस संगठन के पास 13,000 से अधिक सक्रिय सदस्य थे, जो विभिन्न देशों में काम कर रहे थे। इसके अलावा, अज्ञात दाताओं ने इस संगठन को हवाला के जरिए करोड़ों रुपये की मदद भी दी।
ED ने बताया कि PFI ने 29 बैंक खाते खोले थे, जिनका उपयोग ट्रस्टों और अन्य संबद्ध संस्थानों के नाम पर नकदी जमा करने के लिए किया गया था। संगठन के शीर्ष 26 अधिकारियों को विभिन्न एजेंसियों द्वारा पिछले कुछ वर्षों में गिरफ्तार किया गया है, जो इसके अपराधी गतिविधियों में शामिल होने का स्पष्ट प्रमाण है।
हिंसात्मक मामलों में PFI की भूमिका
ED की जांच में यह बात भी सामने आई कि PFI कई हिंसात्मक गतिविधियों में शामिल था। इनमें दिल्ली दंगे, हाथरस की अशांति, और पटना में प्रधानमंत्री मोदी की रैली के दौरान उनकी हत्या की कोशिश शामिल है। संगठन ने युवाओं को शारीरिक शिक्षा के नाम पर विस्फोटक और हथियारों का प्रशिक्षण दिया।
केरल में PFI के एक आतंकी कैंप का पता चला, जहां युवाओं को चरमपंथी गतिविधियों के लिए तैयार किया जाता था। संगठन के अंतरराष्ट्रीय संपर्क भी उजागर हुए, जिसमें यह पता चला कि यह संगठन कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब और यूएई में सक्रिय था।
PFI का असली मकसद था देश में जिहाद फैलाना
ED की जांच में यह भी खुलासा हुआ कि PFI का असली उद्देश्य उसके संविधान में दर्ज उद्देश्यों से बहुत अलग था। संगठन का असली मकसद भारत में एक इस्लामी आंदोलन चलाने के लिए जिहाद का प्रचार करना था। जबकि PFI ने खुद को एक सामाजिक आंदोलन के रूप में पेश किया था, लेकिन जांच में यह पाया गया कि उनके विरोध के तरीके हिंसक थे।
ED के अनुसार, PFI की हिंसात्मक गतिविधियों और उसके असली उद्देश्यों को छिपाने के लिए यह संगठन खुद को गैर-हिंसात्मक और सामाजिक आंदोलन के रूप में प्रस्तुत करता था।